एक बार एक आश्रम में एक गुरु अपने शिष्यों को धनुष बाण चलाना सिखा रहा होता है जिसमे से एक शिष्य निशाना लगता है परन्तु उसका निशाना चूक जाता है।

शिष्य: साला निशाना चूक गया।

गुरू: आश्रम मैं अपशब्द बोलना मना है अब मत बोलना।

शिष्य दोबारा निशाना लगता है और उसका निशाना फिर से चूक जाता है।

शिष्य: साला निशाना चूक गया।

गुरु: मैंने तुम्हे मना किया था फिर भी तुमने अपशब्द बोला अब यदि तुमने फिर से यह अपशब्द बोला तो एक आकाशवाणी होगी और आकाश से एक बाण निकलेगा जो तुम्हारी आँख फोड़ देगा।

शिष्य तीसरी बार निशाना लगता है और तीसरी बार फिर उसका निशाना चूक जाता है।

शिष्य: साला फिर निशाना चूक गया।

तभी अचानक बिजली कडकती है और आकाश से एक बाण निकल कर गुरु की आँख मैं जाता है और साथ ही आकाशवाणी होती है;

आकाशवाणी: साला निशाना चूक गया।

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